तो रोना आता है…
February 25, 2011 at 12:51 pm | Posted in कविता | 1 Commentआँसू कमजोरी की निशानी है माना मगर
गम जब हद से गुजरने लगे तो रोना आता है
अँधेरों से लड़ने की ताकत है मुझमें मगर
दिन जब रात से लंबा लगे तो रोना आता है
हर दरिया तैर कर निकल जाएँगे ये गुरूर अच्छा है मगर
जिस्म जब रूह से हारने लगे तो रोना आता है
अपनी किस्मत पर इठलाना अच्छा लगता है मगर
दिमाग जब दिल से हारने लगे तो रोना आता है
यादों की दस्तक से कौन खुद को बचा पाया है मगर
कभी फलक सितारों से खाली लगे तो रोना आता है
मेरे दोस्तों का जिगर बहुत बड़ा है मगर
खुद से माफी न मिले तो रोना आता है
इस दुनिया में हाथ मिलाने वाले बहुत हैं
किसी से दिल ना मिले तो रोना आता है…
– अरुंधती अमड़ेकर
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socha tha jiyenge zindgi ka har lamha unke sath
pr jab raah me shod jaye koi to rona aata hai
Comment by Mannna— April 19, 2011 #